क्या है ‘मास्टर ऑफ द रोस्टर थ्योरी’?
नवंबर 2017 में सुप्रीम कोर्ट के कॉन्स्टिट्यूशनल बेंच (संवैधानिक पीठ) ने अहम फैसला दिया था. पांच जजों की बेंच ने अपने फैसले में चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया को ‘मास्टर ऑफ द रोस्टर’ बताया. इसके अनुसार चीफ जस्टिस अपने विवेक से यह तय कर सकता है कि कौन से केस की सुनवाई किस जज की बेंच करेगी. ‘मास्टर ऑफ रोस्टर थ्योरी’ के तहत चीफ जस्टिस को अधिकार है कि वह जजों के बीच केसों का आवंटन करें.
पांच जजों की बेंच ने यह फैसला जस्टिस जे चेलामेश्वर की अध्यक्षता वाली दो जजों के बेंच के उस फैसले को पलटते हुए दिया था, जिसमें जस्टिस जे चेलामेश्वर ने करप्शन के एक मामले की सुनवाई के लिए पांच सीनियर जजों की बेंच बनाने के आदेश दिए थे.
लेकिन, ‘मास्टर ऑफ द रोस्टर थ्योरी’ पर फैसला देते हुए चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने यह साफ कर दिया कि सुप्रीम कोर्ट के कोई भी जज खुद से यह फैसला नहीं ले सकते कि वो किस केस की सुनवाई करना चाहते हैं और किस केस की नहीं. वहीं, सुप्रीम कोर्ट के जज किसी विशेष मामले की सुनवाई के लिए अलग से बेंच बनाने के लिए चीफ जस्टिस को निर्देश भी नहीं दे सकते.
Reference – News18