धर्मकथा —पहला श्रावण सोमवार कैसे करें व्रत ?

धर्मकथा —पहला श्रावण सोमवार कैसे करें व्रत ? 🙏🙏🌹🙏🙏

भोलेनाथ बहुत ही सरल स्वभाव ,सर्वव्यापी और भक्तों से शीघ्र ही प्रसन्न होने वाले देव हैं। हिन्दू कैलेंडर के अनुसार चैत्र मास के शुरू होने के बाद पांचवां मास श्रावण मास का हैं। देवशयन का यह प्रथम चातुर्मास हैं। इस मास में कथा -भागवत और अनगिनत उत्सव मनाये जाते हैं। श्रावण मास में आशुतोष भगवान शंकर की पूजा का विशेष महत्व हैं। सोमवार उमापति महादेव का प्रिय दिन हैं। अतः जो प्रतिदिन पूजन न कर सकें उन्हें सोमवार को अवश्य शिव पूजन करना चाहिए।
कुंवारो के लिए खास है सोमवार का दिन–वैसे तो सावन का सोमवार में हर किसी की मनोकामना पूरी हो जाती है लेकिन जिन लोगों के विवाह नहीं हुए हैं ,सावन के सोमवार में पूजा और व्रत करने से अति शीघ्र विवाह हो जाता हैं और जिनकी हो चुकी हैं ,उन्हें सुखमय वैवाहिक जीवनयापन का आशीर्वाद मिलता हैं।
पहला श्रावण सोमवार 26 जुलाई को है। प्राचीन शास्त्रों के अनुसार सोमवार के व्रत तीन तरह के होते है। ,सोमवार ,सोलह सोमवार और सौम्य प्रदोष। –सोमवार व्रत की विधि सभी व्रतों में समान होती हैं। इस व्रत को श्रावण माह में आरंभ करना शुभ माना जाता हैं। श्रावण सोमवार के व्रत में भगवान शंकर और देवी पार्वती की पूजा की जाती हैं।
श्रावण सोमवार व्रत सूर्योदय से प्रारंभ कर तीसरे पहर तक किया जाता है। शिवपूजा के बाद सोमवार व्रत की कथा सुननी आवश्यक होती है। व्रत करने वाले को दिन में एक बार भोजन करना चाहिए।
व्रतधारी क्या करें –श्रावण सोमवार को ब्रह्म मूहर्त सोकर उठें। पूरे घर की सफाई कर स्नानादि से निवृत्त हो जाएं। गंगा जल पूरे घर में छिड़कें। घर के किसी पवित्र स्थान या मंदिर में भोलेनाथ की मूर्ति या चित्र या मिट्टी का शिवलिंग स्थापित करें। तथा पूरी पूजन सामग्री जैसे –जल ,दूध ,दही ,शहद ,घी ,चीनी ,जनेऊ ,चंदन,रोली ,बेलपत्र ,भांग ,धतूरा ,आंकड़े के फूल। धूप ,दीप ,तथा दक्षिणा या फिर जो भी पूजा सामग्री प्रस्तुत हो उसके साथ–भोलेनाथ के सामने आँख बंदकर के शांति से कुछ देर बैठे और मन की बात मन ही मन में कहें और फिर —
इस मंत्र से संकल्प लें -‘–‘-मम क्षेमस्थे र्यविज्यारोग्येष्वर्याभिवृद्धयर्थ सोमव्रतं करिष्ये।
इसके पश्चात निम्न मंत्र से ध्यान करें —‘ध्यायेनित्यंमहेशं रजतगिरिनिभं चारुचंद्रावतंंसं रत्नाकल्पोज्वलांग परशुमृगवराभितिहस्तं प्रसन्नम।
समंतात्स्तुत ममरगणेर्व्याघ्रकृत्तिं वसानं विश्वाधं विश्र्ववंधं निखिलभयहरं पंचवक्त्रं त्रिनेत्रम।
ध्यान के पश्चात ‘ऊं नमः शिवाय ‘से शिवजी का तथा’ ऊं नमः शिवायै ‘से पार्वतीजी का षोडशोपचार पूजन करें। भगवान आशुतोष के सामने तिल के तेल का दीया प्रज्वलित करें। भोलेनाथ के सामने आँख बंद करके शांति से कुछ देर बैठे और मन की बात मन ही मन में कहें .
यहां एक खास बात यह जानने की है कि ज्योतिशास्त्र में दूध को चन्द्र ग्रह से संबंधित माना गया है क्योंकि दोनों की प्रकृति शीतलता प्रदान करने वाली होती हैं। इसलिए चंद्रग्रह से संबंधित समस्त दोषों का निवारण करने के लिए सोमवार को महादेव को दूध अवश्य अर्पित करें। एक विशेष बात -गाय का ताजा ताजा दूध ही प्रयोग में लाये। डब्बाबंद दूध या पैकेट का दूध अर्पित न करें
पूजन के पश्चातश्रावण सोमवार की व्रत कथा सुनें। उसके बाद आरती करके प्रसाद वितरण करें फिर भोजन या फलहार ग्रहण करें।
श्रावण सोमवार व्रत का फल —-सोमवार व्रत नियमित रूप से करने पर भगवान शिव तथा देवी पार्वती की अनुकंपा बनी रहती हैं। जीवन धन-धान्य से परिपूर्ण हो जाता है। सभी अनिष्ट का जटाधारी ,जलाधारी ,जटाशंकर हरण कर भक्तों की रक्षा करतें हैं। शास्त्रों के अनुसार,महिलाओं को हरी चूड़ियां पहननी चाहिए ,क्योंकि सावन के महीने में हरे रंग की चूड़ियां पहनने से शिवजी सुहागिन रहने का आशीर्वाद देते हैं। ये अनाथों के नाथ हैं ,ये अपने भोलेनाथ हैं !ॐ नमः शिवाय ! अन्जु सिंगडोदिया🙏🙏
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