जब लोगों के कंधों पर ऑक्सीजन सिलेंडर नहीं दफ्तर का बैग होगा,
गली में एंबुलेंस नहीं स्कूल की वैन होगी,
और भीड़ दवाखानो पर नहीं चाय की दुकानों पर होगी,
*एक सुबह होगी ❤❤*
जब पेपर के साथ पापा को काढ़ा नहीं चाय मिलेगी,
दादाजी बाहर निकल कर बेखौफ पार्क में गोते लगाएंगे,
और दादी टेरेस पर नहीं मंदिर में जल चढ़ाकर आएंगी,
*एक सुबह होगी 😍😍*
जब हाथोंं में कैरम और लूडो नहीं बैट और बॉल होगा,
मैदानों में सन्नाटा नहीं शोर का भार होगा,
शहरों की सारी पाबंदियां हटेगी और फिर से त्यौहार होगा,
*एक सुबह होगी 🙏🙏*
जब जी भर के सबको गले लगाएंगे,
कड़वी यादों को दफन कर फिर से मुस्कुराएंगे,
और दुनिया को कह देंगे नजरे झुका लो हम फिर से वापस आए हैं ।।
*एक सुबह होगी 😊😊😊😍*
🙏🙏🙏
Really 😃