परमजीत जी समेत देश के समस्त शहीदों के सम्मान मे
कल शहीद परमजीत जी समेत देश के समस्त शहीदों के सम्मान मे मेरे द्वारा रचित एक रचना-:
कट रहा जवानो का सिर फिर क्यों साहेब् लाचार है
एक के बदले दस सिर कहा था क्यों करते इनकार है
बाप दे रहा है बेटे को कांधा मां कर रही अब पुकार है
एक लाल तो मेरा चला गया दूसरा लाल भी मेरा तैयार है।
पत्नी का सुहाग उजड़ गया मांग की सिंदूर करती पुकार है
पति मैने है शहीद किया अब बेटा सरहद के लिये तैयार है।
गर्व करता है भारतवाशी आप पर अब शहादत नही स्वीकार है
लाहौर कराची पर चढ़ाई करो यह देशवाशी भर रहा अब हुंकार है
हे शहीद नमन है आपके चरणो पे मनीष का सर झुकता बारंबार है
शब्दों से अर्पित कर रहा हू श्रद्धा सुमन हृदय मे जलता अंगार है
How useful was this post?
Click on a star to rate it!
Average rating / 5. Vote count:
We are sorry that this post was not useful for you!
Let us improve this post!
Thanks for your feedback!