सुनो तुम……….!!!

( मेरी खुद की चुनिंदा, पसंदीदा कविताओं से एक कविता…. मेरी लिखी हुई)

सुनो तुम……….!!

तुम्हारे बायें हाथ की हथेली पे
मेरे नाम की जो हल्की सी लकीर है….
उसे खुरच कर काश…..
अपने साथ ला पाती !!

अपने बदन की खुश्बू
जो तुम्हारे कमरे में छोड़ आई हूँ-
और जिसे दीवारों ने ओढ़ रखा है…..
उसे छीनकर काश …..
अपने साथ ला पाती !!

चादर की सिलवटें…..
अपनी करवटें…..
और जाने क्या – क्या…….
छोड़ आई हूँ जो तुम्हारे पास –
उसे समेटकर काश…..
अपने साथ ला पाती !!

तुम्हारी गृहस्थी के बर्तनों में –
रोजमर्रा के सामानों में…..
छोड़ आई हूँ जो एक छाप –
उसे नोचकर काश…..
अपने साथ ला पाती……!!

कभी जो बिस्तर के नीचे झांककर देखोगे –
मेरा प्यार………
मेरा समर्पण…..
कितनी ही जागी हुयी रातें…..
और खामोशी से ढलके हुये आंसू –
जो गद्दे के नीचे पड़े हुये हैं –
उन्हें उठाकर काश……
अपने साथ ला पाती !!

कभी कमरे के फर्श को –
कुरेद कर जो देखोगे….
कुछ मीठी झिड़कियां,
कुछ तीखी बातें,
तुमसे की हुई कुछ दुहाईयां………
कुछ चीखें…….
दबी मिलेंगी कमरे की मिट्टी में –
उन्हें खींचकर काश……
अपने साथ ला पाती !!

जीनों के रास्ते होते हुये –
जब घर की छत पर पहुंचोगे तुम……
मेरे पैरों के निशां ,
छत पर सुखाने को गीले कपड़े ,
ठंडी हवा……
कुछ रातें….
कुछ बातें…..
कुछ हंसी……..
कुछ खौफ……..
तुम्हें मेरे हाथों से धुली हुयी –
छत पर दिखाई देंगे……
उन्हें निकालकर काश……
अपने साथ ला पाती !!!

सुनो तुम………..!!!

– सीमा तिवारी

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