मूर्खता से लबरेज हिंदुस्तानी, हर काल में अपने ही से हारे हैं

एक मित्र जो कुछ वर्षों तक हांगकांग में रहे,

*अपना अनुभव बता रहे थे।*

वहां करीब एक वर्ष बीतने पर उन्हें लगा कि वहां के लोग उनसे कुछ दूरी बनाए रखते हैं।

किसी ने उन्हें अपने घर नहीं बुलाया।

उन्हें यह बहुत अखर रहा था, तब आखिर एक करीबी से उन्होंने पूछ ही लिया।

थोडी टालमटोल करने के बाद उसने जो बताया उससे

*हमारे मित्र के तो होश ही उड़ गए।*

उसने पूछा “200 वर्ष राज करने के लिए कितने ब्रिटिश भारत में रहे?”
“10,000 होंगे”

“तो फिर 30 करोड़ लोगों को यातनाएं किसने दी, इतने साल राज करने के लिए?

वे आपके अपने ही तो लोग थे न?

जनरल डायर ने जब “ *फायर*” कहा तब 1300 निहत्थे लोगों पर गोलियां *किसने दागी?*

ब्रिटिश सेना तो वहां नहीं थी।

*क्यों एक भी बंदूकधारी पीछे मुड़ कर जनरल डायर को नहीं मार पाया?*

आपके अपने ही लोग कुछ पैसे के लिए अपने ही लोगों को सदियों से मार रहे हैं।

*इस व्यवहार के लिए हम भारतीय लोगों से सख्त नफ़रत करते हैं…जहां तक संभव है हम भारतीयों से सरोकार नहीं रखते।*

*जब ब्रिटिश हमारे देश में आए तब एक भी व्यक्ति उनकी सेना में भरती नहीं हुआ क्योंकि उसे अपने ही लोगों के विरुद्ध लडना गंवारा नहीं था।*

*यह हम दोगलों का कैरैक्टर है कि बिना सोचे समझे हम पूरी तरह बिकने के लिए तैयार रहते हैं।*

*आज भी इस देश में यही चल रहा है*

*विरोध हो या कोई और मुद्दा , हम राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में और खुद के फायदों वाली गतिविधियों में राष्ट्र हित को हमेशा दोयम स्थान देते हैं….*

यह अंग्रेजों का दोष नहीं था।

हमारा सारा इतिहास ऐसे किस्सों से भरा पडा है।

अंग्रेजों ने हमारी इसी कमी को पहचाना और हमें कंगाल बनाकर छोडा।

*हम विचारों से दरिद्र, एकता से परे,*

*मूर्खता से लबरेज हिंदुस्तानी, हर काल में अपने ही से हारे हैं।*🙏🏽🙏🏽🙏🏽

_कृपया बीजेपी और कांग्रेस या राजनीति से हट कर सोचियेगा…_ 🙏💐

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