मेरे पिता

मेरे पिता…

बेटा अपने बूढ़े पिता को अनाथआश्रम में छोड़कर वापस जा रहा था।

उसकी बीवी ने फ़ोन किया और कहा: “अपने बाप को ये भी कह दो कि त्यौहार पर भी घर आने की आवश्यकता नहीं, अब वे वहीं रहें और हमें भी शान्ति से जीने दें।”

बेटा वापस मुड़ा और अनाथआश्रम में गया तो देखा कि उसके पिता अनाथआश्रम के मैनेजर के साथ ख़ुश-गप्पों में व्यस्त है और वो यूं बैठे थे जैसे बरसों से एक दूसरे को जानते हों।

बेटे ने एकान्त में बुलाकर मैनेजर से पूछा: “सर, आप मेरे पिता को किस तरह और कब से जानते हैं?”

मैनेजर ने मुस्कराते हुए जवाब दिया: “तब से, जब ये अनाथालय से आपको गोद लेने आए थे।”

“माता-पिता हमें शहज़ादों की तरह पालते हैं
लिहाज़ा हमारा फ़र्ज़ है कि बुढ़ापे में हम भी उन्हें
बादशाहों की तरह रखें।”

 

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