जाने-माने राष्ट्रवादी पत्रकार रोहित सरदाना जी को मेरी श्रद्धांजलि के रूप में समर्पित ये छोटी सी कविता💐💐🙏🙏
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जी हाँ ! पत्रकार।
बिकाऊ नहीं राष्ट्रवादी,
पूरी तरह से विशुद्ध राष्ट्रवादी।
जो डरता नहीं था बल्कि,
आँखों में आँखें डालकर।
झूठ का पर्दा हटाकर,
सच का आईना दिखाता।
राष्ट्रवादी कभी मरा नहीं करते,
वो तो जिन्दा रहते हैं।
हम सबके दिलों में…
लोगों में, समाज में एवं
राष्ट्र की धड़कनों में।
और उनकी यही सोच,
उन्हें अमर बनाती है।
क्योंकि ऐसे लोग कभी,
मरा नहीं करते, अपितु।
कालजयी बनकर धड़कते रहते हैं,
हम सबकी धड़कनों में।
धड़कते रहते हैं बस…।
– Nagendra Dubey