*दिवोदास *
काशी के राजा दिवोदास आयुर्वेद और शल्य चिकित्सा में अग्रणी माने जाते हैं। इन्होंने शल्य विज्ञान को बहुत शिष्यों को सिखाया, जिनमें से सुश्रुत ने इस विज्ञान को बहुत आगे बढ़ाया।
*सुश्रुत :-*
ये एक महान शल्य चिकित्सक थे, इन्होंने शल्य विज्ञान पर महान ग्रन्थ *’ सुश्रुत संहिता ‘* लिखी। इन्होंने शल्य में प्रयोग होने वाले उपकरण, औजारों का वर्णन है, शल्य चिकित्सा की बारीकियां, शल्य के बाद देखभाल आदि का वर्णन है।
*जीवक :-*
जीवक ने 7 वर्षों तक तक्षशिला में चिकित्सा विज्ञान का अध्ययन किया। ये राजा बिंबिसार के राजवैद्य थे। ये अनेकों रोगों तथा मस्तिष्क की शल्य चिकित्सा के विशेषज्ञ थे।
*चरक :-*
इनको चिकित्सा शास्त्र का जनक माना जाता है। इन्होने *’ चरक संहिता ‘* नामक ग्रन्थ की रचना भी की थी। *’ चरक संहिता ‘* और *’ सुश्रुत संहिता ‘* ये दोनों आयुर्वेद के स्तम्भ माने जाते हैं। चरक संहिता में 8 भागों में 120 अध्याय हैं, जिनमें 12,000 श्लोकों के द्वारा 2,000 दवाओं का स्पष्ट उल्लेख भी है।
*वाग्भट्ट :-*
आयुर्वेद के प्रसिद्ध ग्रन्थ *’ अष्टांग समग्रह ‘* और ‘अष्टांग हृदय ‘इन्हीं के द्वारा लिखे गये हैं। इनका स्पष्ट कहना था कि 85 % रोगों को घरेलू खान पान और परहेज से ठीक किया जा सकता है, बाकी 15 % रोगों में चिकित्सक या वैद्य की आवश्यकता होती है।
*नागार्जुन :-*
नालंदा विश्वविद्यालय से शिक्षा प्राप्त नागार्जुन धातुकर्मी एवं रसायनज्ञ थे। धातुओं को विभिन्न प्रक्रियाओं से अलग करना, उनका शोधन करना, उनसे रस, भस्म आदि बनाकर रोगों को मिटाने में पारंगत थे।
*शालिहोत्र :-*
इनको प्राचीन भारत के पशु चिकित्सा शास्त्र का जनक कहा जाता है। इन्होंने घोड़ों पर *’ शालिहोत्र संहिता ‘* नामक ग्रन्थ लिखा, जिसमें 12,000 श्लोकों के माध्यम से घोड़ों का रख रखाव और उपचार बताया गया है।
*अमरसिम्हा :-*
ये महाराजा विक्रमादित्य के दरबार में नवरत्न थे। इनका लिखा ग्रन्थ *’ अमरकोश ‘* चिकित्सा शास्त्र के विद्यार्थियों के लिए एक महान पुस्तक है। इनके ग्रन्थ में अनगिनत औषधिओं के पर्यायवाची शब्द नाम, पर्यायवाची ओषधि, शरीर रचना विज्ञान और चिकित्सा शास्त्र के अन्य प्रमुख विषयों का विवरण है।
*माधवाकार :-*
इनको आयुर्वेद का बड़ा ज्ञाता माना जाता है। इन्होंने रोग की पहचान और निदान के क्षेत्र में महान कार्य किया। इनका ग्रन्थ *’ माधवनिदानं ‘* में विभिन रोगों के लक्षण, रोगों की पहचान, निदान और रोगों का कारण आदि समझाए गए हैं।
*भावमिश्र :-*
ख्याति प्राप्त चिकित्सा शास्त्रियों में इनका नाम भी मुख्य है। इनका महान ग्रन्थ *’ भाव प्रकाश ‘* है जिसमें भारतीय चिकित्सा शास्त्र का उदगम, ब्रह्माण्ड विज्ञान, मानव शरीर रचना, भ्रूण विज्ञान, शरीर क्रिया विज्ञान, रोग निदान और जड़ी बूटियों के प्राकृतिक गुण आदि का विज्ञान है।
*हमारे तक्षशिला और नालंदा विश्वविद्यालयों में चिकित्सा शात्र भी विषय था, जहाँ पर विश्व के अनेक देशों से विद्यार्थी ज्ञान लेकर अपने अपने देश आते थे।*
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