*जब लाईलाज थे तब संभल गए*,
*अब टीका है फिर भी फ़िसल गए l*
*कोई दोष नही है महामारी का*,
*दिवाला निकला है समझदारी का*।
*छूट क्या मिली बेपरवाह हो गए*,
*हम खुद ही लापरवाह हो गए*।
*न मास्क पहना न दो गज की दूरी*,
*जिंदगी दांव पर लगा दी पूरी पूरी*।
*अब बढ़े मरीज तो हड़बड़ा रहे है*,
*गलती की है… फिर क्यों पछता रहे है*….
*समय है, अभी भी चेत जाइए*,
*मास्क पहनिए, दो गज की दूरी बनाइए*,
*स्वयं सुरक्षित रहें और समाज को भी बचाइए।*🙏