केन्या के पास मेडिकल ऑक्सीजन नही थी, रेमेडेसिविर इंजेक्शन नही थे … अनाज था … उसने अनाज ही भेज दिया ।
वजह सिर्फ ये थे कि इस मुश्किल घड़ी में वो भारत के साथ खड़ा रहना चाहता था… ऑक्सीजन नही तो अनाज ही सही । कल को जब इतिहास लिखा जायेगा तो कोई ये तो नही कह सकेगा कि जब दुनिया में आपदा आयी थी तो केन्या ने कुछ नही किया था ।
ये कहानी है एक छोटे से, जनजातीय आदिवासियों से भरे देश केन्या की ।
वहीं एक कहानी और भी है …कुछ पढ़े लिखे विभिन्न प्रकार के हरामी लोगों की जो हमारे ही देश के है …इन हरामीयों के पास ऑक्सीजन भी थी और इंजेक्शन भी लेकिन इन्होंने सब छुपा कर रखे ताकि लाशों का ढेर लग सकें ।
आज यही लोग केन्या और भारत दोनों का मजाक बना रहे है … प्रेमचंद एक कहानी में कहते है … ‘वेश्याओं को चरित्रवान स्त्री सुहाई है कभी ! ‘
Ashish Retarekar
Vedant Mishra जी की पोस्ट:
भारत वह देश है जहाँ रामसेतु निर्माण में गिलहरी का भी योगदान उतना ही बड़ा माना जाता है जितना कि अन्य रामभक्तों का।
भारत वह देश है जहाँ श्रीकृष्ण अपने मित्र सुदामा के दिये हुए 3 मुट्ठी चावल के बदले उन्हें तीनों लोक दान करने की हठ कर बैठते हैं।
भारत वह देश है जहाँ के राजा बलि, कर्ण एवं महर्षि दधीचि के दान की महिमा गाई और सुनाई जाती है…
वे कौन नीच लोग हैं जो केन्या जैसे देश से आई इस सहायता का उपहास उड़ा रहे हैं?
अरे पिशाचों दान देने वाले की हैसियत नहीं उसकी नीयत देखी जाती है।
भारत…केन्या द्वारा इस “12 टन अनाज” के सहयोग के लिए न केवल आभारी है बल्कि केन्या को समय आने पर इसका हज़ार गुना लौटाएगा….
#ThankYouKenya
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केन्या से 12 टन अनाज आया है…!
नहीं- नहीं… हँसिए मत..! उनकी मदद का अपमान मत कीजिए।
उनका दिल देखिए, भावना देखिए, क्या भेजा-कितना भेजा, ये सब देखना… छोटी बात है।
उन्होंने हमें अपना समझा, इस बुरे समय में अपने सामर्थ्य अनुसार जो भी हो मदद का प्रयास किया, हमारे लिए यही बहुत है।
याद रखिए,
यह उन्हीं सुदर्शन चक्र धारी श्री कृष्ण का देश है जो सुदामा के दो मुट्ठी चावल पर रीझ जाते हैं।
🙏💝
-विष्णुगुप्त आजाद
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