रघुराई हे रघुराई
रघुराई हे रघुराई
पग धोकर नाव चढ़इ हो
पग धोकर नाव चढ़इ हो
बिन पग धोए सुन मोरे राजा
बिन पग धोए सुन दाता
नहीं गंगा पार करइ हो
पग धोकर नाव चढ़इ हो
पग धोकर नाव चढ़इ हो
तब चरनन की महिमा न्यारी
परस पाय पातर भयो नारी
मोरी नैया काठ की नैया
ये बेचारी काठ की नैया
सगरे कुटुंब की पालन हारी यही
सगरे कुटुंब की पालन हारी
नौका से ये नार भयी तो
नौका से ये नार भयी तो
कीति जइहो काह खइ हो
नहीं, यो नहीं नाव चढ़इ हो
पग धोकर नाव चढ़इ हो
कृपा सिंधु बोले मुसकाई
सोइ करु चेही तव नाव न जाई
बेगिआ नू जल पाये पखारू
होत बिलंब उतारही पारू
अति आनंद उमगी अनुरागा
चरन सरोज पखारन लागा
वर्ष सुमन सुर सकल सिहाही
येहि सम पुण्य पुंज को नाही
येहि सम पुण्य पुंज को नाही
चरणामृत के पान कीये ते
चरणामृत के पान कीये ते
कछुक भरोसो पइहो
अब निर्भय नाव चढ़इ हो
अब निर्भय नाव चढ़इ हो
केवट रे बड़भागी तोरी नैया
बड़भागी तोरी नैया
आज तोरी नैया में विराजै
भव सागर के खिवैया
बड़भागी तोरी नैया
धोबी से धोबी न लेत धुलाई
नाई से कछु लेत न नाई
तुम भी केवट मैं भी केवट
तुम भी केवट मैं भी केवट
कैसे तुमसे लूं उतराई
हो कर दीजो भव पार प्रभु मोहे
कर दीजो भव पार प्रभु
जब घाट तिहारे जईहो
अभी उतराई नहीं लइ हो
अभी उतराई नहीं लइ हो
मैं तो उतराई तभी लइ हो.