जब *सनातनी* एक दूसरे को हाथ जोड़ कर नमस्ते कर रहा था तो दुनिया उन पर हंस रही थी।
जब *सनातनी* हाथ पैर धोकर घर मे घुसता था तो दुनिया उन पर हंसती थी।
जब *सनातनी* जानवरों की पूजा कर रहे थे तब दुनिया उन पर हंस रही थी।
जब *सनातनी* पेड़ों और जंगलों को पूज रहे थे तब दुनिया उन पर हंस रही थी
जब *सनातनी* मुख्यतः शाकाहार पर बल दे रहे थे तब दुनिया उन पर हंस रही थी।
जब *सनातनी* योग, प्रणायाम कर रहा था तब दुनिया उन पर हंस रही थी।
जब *सनातनी* श्मशान और अस्पताल से आकर स्नान करते थे, तब भी दुनिया उन पर हंस ही रही थी।
लेकिन अब ? अब कोई नही हंस रहा, बल्कि सब यही अपना रहे हैं।
सच ही कहा गया है, *सनातनी जीवन* एक जीवन पद्धति है। ज्यों ज्यों इसकी गहराई में जाते है त्यों त्यों गहराई बढ़ती ही जाती है, जिसका कहीं अंत नहीं..
*🙏 जय श्री राम 🙏*
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