बाँसुरी बेचने वाले देखें है ? बाँस के जाले पर सौ-डेढ़ सौ बाँसुरी सजाये मेले में या बाज़ार में देखे ही होंगे । वो सिर्फ बंसी नही बेचता … साथ साथ बंसी बजाता भी रहता है । अधिकतर पुराने फिल्मी गानों की धुन । लोग मंत्रमुग्ध होकर सुनने लगते है ।
साँसों पर काबू कर बजती धुन और थिरकती उँगलियों के जादू को देखकर कई लोगों को ये भ्रम हो जाता है कि ये कमाल तो बाँसुरी का है … ऐसी धुन तो वो भी बजा लेंगे … यही सोचकर वो बाँसुरी खरीद लेते है लेकिन जब घर ले जाकर बजाने की कोशिश करते है तब असलियत समझ में आती है ।
मोदी की देखादेखी जो नेता मंदिर-मंदिर घूम रहे है उनका हाल भी उन लोगों जैसा ही है । इनको लगता है हिंदुओ को हजारों गालियाँ देने के बाद भी हम मंदिर चले जाएंगे तो थोक में वोट मिल जायेगा ।
बाँसुरी तो खरीद लोगे लेकिन बजाने की कला कहाँ से लाओगे ?
Ashish Retarekar