एक दिन एक आदमी टैक्सी से एअरपोर्ट जा रहा था। टैक्सी वाला कुछ गुनगुनाते हुए बड़े इत्मिनान से गाड़ी चला रहा था कि अचानक एक दूसरी कार पार्किंग से निकल कर रोड पर आ गयी, टैक्सी वाले ने तेजी से ब्रेक लगायी, गाड़ी स्किड करने लगी और बस एक -आध इंच से सामने वाली कार से लड़ते -लड़ते बची।आदमी ने सोचा कि टैक्सी वाला कार वाले को भला-बुरा कहेगा। लेकिन इसके उलट सामने वाला ही पीछे मुड़ कर उसे गालियां देने लगा। इस पर टैक्सी वाला नाराज़ होने की बजाय उसकी तरफ हाथ हिलाते हुए मुस्कुराने लगा, और धीरे -धीरे आगे बढ़ गया।आदमी ने आश्चर्य से पूछा, “ तुमने ऐसा क्यों किया ? गलती तो उस आदमी की थी, उसकी वजह से तुम्हारी गाड़ी लड़ सकती थी और हम घायल भी हो सकते थे।”टैक्सी वाला बोला, “ सर जी! बहुत से लोग कचरा गाड़ी की तरह होते हैं। वे बहुत सारा कचरा उठाये हुए चलते हैं, हतास निराश और हर किसी से नाराज ।जब कचरा बहुत ज्यादा हो जाता है तो वे अपना बोझ हल्का करने के लिए इसे दूसरों पर फेंकने का मौका खोजने लगते हैं , पर जब ऐसा कोई आदमी मुझे अपना शिकार बनाने की कोशिश करता हैं तो मैं बस यूँही मुस्कुरा के हाथ हिल कर उनसे दूरी बना लेता हूँ।किसी को भी उनका कचरा नहीं लेना चाहिए, अगर ले लिया तो शायद हम भी उन्हीं की तरह उसे इधर उधर फेंकने में लग जायेंगे। घर में, ऑफिस में सड़कों पर और माहौल गन्दा कर देंगे, हमें इन कचरा गाड़ी को अपना दिन खराब नहीं करने देना चाहिए। ज़िन्दगी बहुत छोटी है कि हम सुबह किसी अफ़सोस के साथ उठें, इसलिए उनसे प्यार करो जो तुम्हारे साथ अच्छा व्यवहार करते हैं और जो नहीं करते उन्हें माफ़ कर दो।”सोचने की बात है कि क्या हम जानबूझ कर कचरा गाड़ी से बचाव करते हैं, या उससे भी बड़ी बात कि कहीं हम खुद कचरा गाड़ी तो नहीं बन रहे।*👉 सीख**हतास निराश लोगों से उलझने के बजाय उन्हें माफ़ करना सीखें और खुद गुस्सा करने से बचें।*