किस्सा रफ कापी का

 

हर सब्जेक्ट की कापी अलग अलग बनती थी, परंतु एक कापी ऐसी थी जो हर सब्जेक्ट को सम्भालती थी। उसे हम रफ कापी कहते थे।

यूं तो रफ कापी का मतलब खुरदुरा होता है। परंतु वो रफ कापी हमारे लिए बहुत कोमल होती थी। कोमल इस सन्दर्भ में कि, उसके पहले पेज पर हमें कोई इंडेक्स नहीं बनाना होता था, न ही शपथ लेनी होती थी कि इस कापी का एक भी पेज नहीं फाड़ेंगे इसे साफ रखेंगे।

उस कापी पर हमारे किसी न किसी पसंदीदा व्यक्तित्व का चित्र होता था। उस कापी के पहले पन्ने पर सिर्फ हमारा नाम होता था और आखिरी पन्नों पर अजीब सी कला कृतियां, राजा मंत्री चोर सिपाही या फिर पर्ची वाले क्रिकेट का स्कोर कार्ड, उस रफ कापी में बहुत सी यादें होती थी।

जैसे अनकहा प्रेम,

अनजाना सा गुस्सा,

कुछ उदासी,

कुछ दर्द,

हमारी रफ कापी में ये सब कोड वर्ड में लिखा होता था

जिसे कोई आई एस आई

या सी आई ए डिकोड नहीं कर सकती थी।

 

उस पर अकिंत कुछ शब्द, कुछ नाम कुछ चीजें ऐसी थी जिन्हें मिटाया जाना हमारे लिए असंभव था। हमारे बैग में कुछ हो या न हो वो रफ कापी जरूर होती थी। आप हमारे बैग से कुछ भी ले सकते थे ,पर वो रफ कापी नहीं , हर पेज पर हमने बहुत कुछ ऐसा लिखा होता था जिसे हम किसी को नहीं पढ़ा सकते थे।

 

कभी कभी यह भी होता था कि उन पन्नों से हमने वो चीज फाड़ कर दांतों तले चबा कर थूक दिया था क्योंकि हमें वो चीज पसंद न आई होगी। समय इतना बीत गया कि, अब कापी ही नहीं रखते हैं। रफ कापी जीवन से बहुत दूर चली गई है, हालांकि अब बैग भी नहीं रखते हैं कि रफ कापी रखी जाये।

 

वो खुरदुरे पन्नों वाली रफ कापी अब मिलती ही नहीं। हिसाब भी नहीं हुआ है बहुत दिनों से, न ही प्रेम का न ही गुस्से का, यादों की गुणा भाग का समय नहीं बचता।

 

अगर कभी वो रफ कापी मिलेगी उसे लेकर बैठेंगे, फिर से पुरानी चीजों को खगांलेगें, हिसाब करेंगे और आखिरी के पन्नों पर राजा मंत्री चोर सिपाही खेलेंगे।

 

वो नटराज की पेन्सिल, वो चेलपारक की स्याही वो महंगी पायलेट की पेन और जैल पेन की लिखाई ,वो सारी ड्राइंग वो पहाड़ वो नदियां वो झरने ,वो फूल, लिखते लिखते ना जाने कब ख़त्म हुआ स्कूल।

 

अब तो बस साइन करने के लिए उठती है कलम, पर आज न जाने क्यों वो नोटबुक का वो आखिरी पन्ना याद आ गया जैसे उस काट पीट में छिपा कोई राज ही टकरा गया।

 

जीवन में शायद कहीं कुछ कम सा हो गया। पलकें भीगी सी है, कुछ नम सा हो गया। आज फिर वक्त शायद कुछ थम सा गया।

 

*क्या आपको याद है आपकी वो रफ कापी। 🤔*

 

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