Ek बार एक अमीर आदमी कहीं जा रहा था। रास्ते में उसकी कार ख़राब हो गई। उसका कहीं पहुँचना बहुत जरुरी था। उसको दूर एक पेड़ के नीचे एक रिक्शा दिखाई दिया। वह उस रिक्शा वाले के पास गया। रिक्शा वाला अपना पैर हैंडल के ऊपर रखे था। पीठ सीट पर थी और सिर जहाँ सवारी बैठती है उस सीट पर थी और मज़े से लेट कर गाना गुन-गुना रहा था।
वह अमीर व्यक्ति रिक्शा वाले को ऐसे लेटे हुए देख कर यह सोचकर बहुत हैरान हुआ कि एक व्यक्ति ऐसे बेआराम जगह में कैसे खुश रह सकता है? कैसे गुन-गुना सकता है?
वह उसको चलने के लिए बोलता है और उसे 20 रूपए देने के लिए बोलता है। रिक्शा वाला झट से उठ कर चल देता है।
रास्ते में रिक्शा वाला वही गाना गुन-गुनाते हुए मज़े से रिक्शा खींचता है।
अमीर व्यक्ति एक बार फिर हैरान कि एक व्यक्ति 20 रूपए लेकर इतना खुश कैसे हो सकता है? इतने मज़े से कैसे गुन-गुना सकता है? वो थोडा इर्ष्यापूर्ण हो जाता है और रिक्शा वाले को समझने के लिए उसको अपने बंगले में रात को खाने के लिए बुला लेता है। रिक्शा वाला उसके बुलावे को स्वीकार कर लेता है।
वो अपने हर नौकर को बोल देता है कि इस रिक्शा वाले को सबसे अच्छे खाने की सुविधा दी जाए। अलग अलग तरह के खाने की सेवा हो जाती है। सूप्स, आइस क्रीम, गुलाब जामुन सब्जियां यानि हर चीज वहाँ मौजूद थी।
रिक्शा वाला आराम से खाना शुरू कर देता है, कोई प्रतिक्रिया, कोई चिंता नहीं। वही गाना गुन-गुनाते हुए मजे से वो खाना खाता है। सभी लोगों को ऐसे लगता है जैसे रिक्शा वाला ऐसा खाना पहली बार नहीं खा रहा है। पहले भी ऐसा खाना खाता रहा है।
अमीर आदमी फिर हैरान कि कोई आम आदमी इतने ज्यादा तरह के व्यंजन देख कर भी कोई हैरानी वाली प्रतिक्रिया क्यों नहीं देता और वैसे ही कैसे गुन-गुना रहा है जैसे रिक्शे में गुन-गुना रहा था।
यह सब कुछ देखकर अमीर आदमी की इर्ष्या और बढ़ती है।
अब वह रिक्शे वाले को अपने बंगले में कुछ दिन रुकने के लिए बोलता है। रिक्शा वाला हाँ कर देता है।
उसको बहुत ज्यादा इज्जत दी जाती है। कोई उसको जूते पहना रहा होता है, तो कोई कोट। एक बेल बजाने से तीन-तीन नौकर सामने आ जाते हैं। एक बड़ी साइज़ की टेलीविज़न स्क्रीन पर उसको प्रोग्राम दिखाए जाते हैं। और एयर-कंडीशन कमरे में सोता था। फिर भी वैसे ही साधारण व्यवहार कर रहा था‚ जैसे वो रिक्शा में था । वैसे ही गाना गुन-गुना रहा था, जैसे वो रिक्शा में गुन-गुना रहा था।
अमीर आदमी के इर्ष्या बढ़ती चली जाती है और वह रिक्शे वाले पूछता है कि आप खुश हैं ना?
रिक्शा वाला कहता है,”जी साहब ! मैं बहुत खुश हूँ ।”
अमीर आदमी फिर पूछता है,”आप आराम में हैं ना ?”
रिक्शा वाला कहता है,”जी बिलकुल आराम से हूँ।”
अब अमीर आदमी तय करता है कि इसको उसी रिक्शा पर वापस छोड़ दिया जाये। वहाँ जाकर ही शायद इसको इन बेहतरीन चीजों का एहसास हो और वहाँ जाकर ये इन सब बेहतरीन चीजों को याद करे।
अमीर आदमी अपने सेक्रेटरी को बोलता है कि इससे कह दो कि आपने दिखावे के लिए कह दिया कि आप खुश हो, आप आराम से हो। लेकिन साहब समझ गये हैं कि आप खुश नहीं हो आराम में नहीं हो। इसलिए आपको वापस रिक्शा के पास छोड़ दिया जायेगा।”
सेक्रेटरी के ऐसा कहने पर रिक्शा वाला कहता है,”ठीक है सर, जैसे आप चाहें, जब आप चाहें।”
उसे वापस उसी जगह पर छोड़ दिया, जहाँ पर उसका रिक्शा था।
अमीर आदमी अपने गाड़ी के काले शीशे ऊँचे करके उसे देखता है।
रिक्शे वाले ने अपनी सीट उठाई बैग में से काला सा, गन्दा सा, मैला सा कपड़ा निकाला, रिक्शा को साफ़ किया, मज़े में बैठ गया और वही गाना गुन-गुनाने लगा।
अमीर आदमी अपने सेक्रेटरी से पूछता है, “कि चक्कर क्या है‚ इसको कोई फर्क ही नहीं पड़ रहाॽ इतनी आरामदायक , इतनी बेहतरीन जिंदगी को ठुकरा कर वापस इस कठिन जिंदगी में आना और फिर वैसे ही खुश होना, वैसे ही गुन-गुनाना”ॽ
फिर वो सेक्रेटरी उस अमीर आदमी को कहता है,“सर ! यह एक कामयाब इन्सान की पहचान है । एक कामयाब इन्सान वर्तमान में जीता है, उसका आनंद लेता है और बढ़िया जिंदगी की उम्मीद में अपना वर्तमान खराब नहीं करता । अगर उससे भी बढ़िया जिंदगी मिल गई तो उसका भी स्वागत करता है उसका भी आनन्द लेता है उसे भी भोगता है और उस वर्तमान को भी ख़राब नहीं करता। और अगर जिंदगी में दुबारा कोई बुरा दिन देखना पड़े तो वो भी उस वर्तमान को उतने ही ख़ुशी से, उतने ही आनंद से, उतने ही मज़े से, भोगता है और उसी में आनंद लेता है।”
*सीख*
*कामयाबी आपके ख़ुशी में छुपी है, और अच्छे दिनों की उम्मीद में अपने वर्तमान को ख़राब न करें और न ही कम अच्छे दिनों में ज्यादा अच्छे दिनों को याद करके दुःख मनायें।*
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