बहुत सुन्दर कथा
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एक महिला रोज मंदिर जाती थी !
एक दिन उस महिला ने पुजारी से कहा –
“अब मैं मंदिर नही आया करूँगी !”
इस पर पुजारी ने पूछा — “क्यों ?”
तब महिला बोली — “मैं देखती हूँ लोग मंदिर परिसर में अपने फोन से
अपने व्यापार की बात करते हैं !
कुछ ने तो मंदिर को ही गपशप करने का
स्थान चुन रखा है !
कुछ पूजा कम पाखंड,दिखावा ज्यादा करते हैं !”
इस पर पुजारी कुछ देर तक चुप रहे, फिर कहा — “सही है ! परंतु अपना अंतिम निर्णय लेने से पहले क्या आप मेरे कहने से
कुछ कर सकती हैं ?”
महिला बोली -“आप बताइए क्या करना है ?”
पुजारी ने कहा — “एक गिलास पानी
भर लीजिए और 2 बार मंदिर परिसर के अंदर परिक्रमा लगाइए ।
शर्त ये है कि गिलास का
पानी गिरना नहीं चाहिये .. ”
महिला बोली — “मैं ऐसा कर सकती हूँ !”
फिर थोड़ी ही देर में उस महिला ने ऐसा ही कर दिखाया ! उसके बाद मंदिर के पुजारी ने महिला से 3 सवाल पूछे –
“1.क्या आपने किसी को फोन पर बात करते देखा?
2.क्या आपने किसी को मंदिर में गपशप करते देखा?
3.क्या किसी को पाखंड करते देखा?”
महिला बोली — “नहीं मैंने कुछ भी नहीं देखा !”
फिर पुजारी बोले — “जब आप परिक्रमा लगा रही थीं तो आपका पूरा ध्यान गिलास पर था
कि इसमें से पानी न गिर जाए,
इसलिए आपको कुछ दिखाई नहीं दिया!
अब जब भी आप मंदिर आयें;
तो अपना ध्यान सिर्फ़ परम पिता
परमात्मा में ही लगाना,
फिर आपको कुछ दिखाई नहीं देगा!
सिर्फ भगवान ही सर्वत्र दिखाई देगें…”
” जाकी रही भावना जैसी ..
प्रभु मूरत देखी तिन तैसी|”
जीवन मे दुखों के लिए कौन जिम्मेदार है ?
👉🏻ना भगवान,
👉🏻ना गृह-नक्षत्र,
👉🏻ना भाग्य,
👉🏻ना रिश्तेदार,
👉🏻ना पडोसी,
👉🏻ना सरकार,
जिम्मेदार आप स्वयं है!
1) आपका सरदर्द, फालतू विचार का परिणाम!
2) पेट दर्द, गलत खाने का परिणाम!
3) आपका कर्ज, जरूरत से ज्यादा खर्चे का परिणाम!
4) आपका दुर्बल /मोटा /बीमार शरीर, गलत जीवन शैली का परिणाम!
5) आपके कोर्ट केस, आप के अहंकार का परिणाम!
6) आपके फालतू विवाद, ज्यादा व् व्यर्थ बोलने का परिणाम!
उपरोक्त कारणों के अलावा सैकड़ों कारण हैं और बेवजह दोषारोपण दूसरों पर
करते रहते हैं |
इसमें ईश्वर दोषी नहीं है!
अगर हम इन कष्टों के कारणों पर बारीकी से विचार करें तो पाएंगे कि कहीं न कहीं
हमारी मूर्खताएं ही इनके पीछे है…
आपका जीवन प्रकाशमय हो तथा शुभ हो …
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
जय श्री राम! जय हनुमान!!
ओमप्रकाश शर्मा