मूर्खता से लबरेज हिंदुस्तानी, हर काल में अपने ही से हारे हैं
एक मित्र जो कुछ वर्षों तक हांगकांग में रहे, *अपना अनुभव बता रहे थे।* वहां करीब एक वर्ष बीतने पर उन्हें लगा कि वहां के लोग उनसे कुछ दूरी बनाए रखते हैं। किसी ने उन्हें अपने घर नहीं बुलाया। उन्हें यह बहुत अखर रहा था, तब आखिर एक करीबी से उन्होंने पूछ ही लिया। थोडी … Read more