जय जय श्रीराधे ! 💖
एक बार चाणक्य का एक परिचित उनसे मिलने आया और बोला – क्या तुम जानते हो कि “मैंने तुम्हारे मित्र के बारे में क्या सुना है?”
चाणक्य ने उसे टोकते हुए कहा – “एक मिनट रुको।”
इसके पहले कि तुम मुझे मेरे मित्र के बारे में कुछ बताओ, उसके पहले मैं तीन छलनी परीक्षण करना चाहता हूं।
मित्र ने कहा “तीन छलनी परीक्षण?”
चाणक्य ने कहा – “जी हां मैं इसे तीन छलनी परीक्षण इसलिए कहता हूं क्योंकि जो भी बात आप मुझसे कहेंगे, उसे तीन छलनी से गुजारने के बाद ही कहें।”
“पहली छलनी है “सत्य “।
क्या आप यह विश्वासपूर्वक कह सकते हैं कि जो बात आप मुझसे कहने जा रहे हैं, वह पूर्ण सत्य है?”
“व्यक्ति ने उत्तर दिया – “जी नहीं, दरअसल वह बात मैंने अभी-अभी किसी से सुनी है।”
चाणक्य बोले – “तो तुम्हें इस बारे में ठीक से कुछ नहीं पता है। ”
“आओ अब दूसरी छलनी लगाकर देखते हैं।
दूसरी छलनी है “भलाई “।
क्या तुम मुझसे मेरे मित्र के बारे में कोई अच्छी बात कहने जा रहे हो?”
“जी नहीं, बल्कि मैं तो…… ”
“तो तुम मुझे कोई बुरी बात बताने जा रहे थे लेकिन तुम्हें यह भी नहीं मालूम है कि यह बात सत्य है या नहीं।”- चाणक्य बोले।
“तुम एक और परीक्षण से गुजर सकते हो।
तीसरी छलनी है “उपयोगिता “।
क्या वह बात जो तुम मुझे बताने जा रहे हो, मेरे लिए उपयोगी है?”
“शायद नहीं…”
यह सुनकर चाणक्य ने कहा-
“जो बात तुम मुझे बताने जा रहे हो, न तो वह सत्य है, न अच्छी और न ही उपयोगी। तो फिर ऐसी बात कहने का क्या फायदा?”
- निष्कर्ष :—
“जब भी आप अपने परिचित, मित्र, सगे संबंधी, स्वजाति बन्धु के बारे में कुछ गलत बात सुने”, ये तीन छलनी परीक्षण अवश्य करें। कुछ सुनने से पहले सामने वाले की विचार को जरूर समझें