नवरात्रि का तीसरा दिन मां चंद्रघंटा की पूजा को समर्पित होता है। यह दिन विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि मां चंद्रघंटा को शक्ति और साहस की देवी के रूप में पूजा जाता है। मां चंद्रघंटा के मस्तक पर घंटे के आकार का चंद्रमा है, जिससे इन्हें यह नाम मिला है। इनके रूप का ध्यान करने से जीवन में साहस, शांति, और आध्यात्मिक शक्ति का विकास होता है।
मां चंद्रघंटा का यह रूप सौम्य और साथ ही साथ शक्तिशाली भी है। यह देवी अपने भक्तों को साहस और निर्भीकता का आशीर्वाद देती हैं, जिससे वे जीवन की कठिनाइयों और चुनौतियों का सामना कर सकते हैं। इस दिन मां चंद्रघंटा की पूजा करना भक्तों के लिए अत्यंत फलदायी माना जाता है।
मां चंद्रघंटा की पौराणिक कथा
मां चंद्रघंटा का संबंध शिव और पार्वती की कथा से जुड़ा है। कहा जाता है कि जब भगवान शिव ने देवी पार्वती को विवाह का प्रस्ताव दिया, तो वे अपने भयंकर रूप में सजे हुए थे। इस रूप में शिव जी का शरीर भस्म से ढका हुआ था और वे भयानक प्राणियों के साथ थे। उनके इस रूप से सभी देवता और मनुष्य भयभीत हो गए थे।
देवी पार्वती ने शिवजी के इस रूप को शांत करने के लिए चंद्रघंटा का रूप धारण किया। इस रूप में उनके मस्तक पर घंटे के आकार का चंद्रमा था, और उनके हाथों में कई प्रकार के शस्त्र थे। उनके इस रूप से भगवान शिव शांत हो गए, और इसके बाद उनका विवाह देवी पार्वती के साथ संपन्न हुआ।
मां चंद्रघंटा का यह रूप हमें यह सिखाता है कि साहस और शक्ति के साथ जीवन की कठिनाइयों का सामना किया जा सकता है। यह भी दर्शाता है कि संघर्षों के बाद ही सच्ची शांति प्राप्त होती है।
मां चंद्रघंटा की पूजा विधि
मां चंद्रघंटा की पूजा करते समय विशेष रूप से स्वच्छता और शुद्धता का ध्यान रखा जाता है। यह पूजा साधकों के लिए अत्यंत लाभकारी होती है और मां की कृपा से साधक को आत्मबल और साहस की प्राप्ति होती है। यहां मां चंद्रघंटा की पूजा की विस्तृत विधि दी गई है:
स्नान और शुद्धता: पूजा से पहले स्वयं स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। पूजा स्थल को साफ करके एक साफ कपड़ा बिछाएं, जहां मां की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
कलश स्थापन: पूजा की शुरुआत में कलश स्थापन करें। कलश को जल से भरकर उसमें आम के पत्ते और सुपारी डालें। इस पर नारियल रखें और कलश के पास धूप, दीप, और फूल रखें।
मां का आह्वान: मां चंद्रघंटा का ध्यान करें और उनके सामने दीपक जलाएं। इसके बाद उन्हें अक्षत, कुमकुम, चंदन, और फूल अर्पित करें। मां का आह्वान करते समय मन को शुद्ध रखें और पूरी श्रद्धा के साथ उनकी आराधना करें।
धूप और दीप: मां को घी का दीप और सुगंधित धूप अर्पित करें। इससे पूजा का माहौल शुद्ध और पवित्र हो जाता है।
मंत्र का जाप: मां चंद्रघंटा की पूजा में मंत्रों का जाप विशेष महत्व रखता है। इनके मंत्रों का जाप करने से साधक को मानसिक शांति और आंतरिक शक्ति प्राप्त होती है।
मंत्र: “पिण्डज प्रवरारूढ़ा चण्डकोपास्त्र केरीया। शान्तं पापं हरन्ती या देवी चन्द्रघण्टा।।”
इस मंत्र का उच्चारण करते हुए मां से प्रार्थना करें कि वे आपको जीवन में साहस और शांति प्रदान करें।
विशेष भोग: मां चंद्रघंटा को दूध से बनी चीजें विशेष रूप से प्रिय होती हैं। आप उन्हें दूध से बनी मिठाई, खीर या माखन अर्पित कर सकते हैं। यह भोग मां को अत्यंत प्रिय होता है और इससे मां प्रसन्न होकर अपने भक्तों को आशीर्वाद देती हैं।
मां चंद्रघंटा का महत्व
मां चंद्रघंटा की पूजा का विशेष महत्व है क्योंकि यह देवी शक्ति और साहस का प्रतीक मानी जाती हैं। इनके आशीर्वाद से भक्त के जीवन में आने वाली सभी बाधाएं और कठिनाइयां दूर होती हैं। मां चंद्रघंटा की कृपा से जीवन में शांति, साहस और सुरक्षा की प्राप्ति होती है।
मां चंद्रघंटा का ध्यान करने से साधक के मन में नकारात्मक विचारों का नाश होता है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। यह दिन साधकों के लिए आत्म-निरीक्षण और साधना का समय होता है। मां का आशीर्वाद पाने के लिए उन्हें पूर्ण श्रद्धा और समर्पण के साथ पूजा अर्पित करनी चाहिए।
मां चंद्रघंटा का रूप यह दर्शाता है कि शक्ति और शांति का संतुलन ही सच्ची उन्नति का मार्ग है। जब जीवन में कठिनाइयां आती हैं, तब साहस और संयम से उनका सामना किया जा सकता है।
मां चंद्रघंटा से जुड़ी मान्यताएं
ऐसा माना जाता है कि मां चंद्रघंटा की पूजा करने से शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है। उनके आशीर्वाद से भक्त को जीवन में साहस और आत्मबल की प्राप्ति होती है। वे अपने भक्तों की हर प्रकार की कठिनाइयों से रक्षा करती हैं और उन्हें आगे बढ़ने की प्रेरणा देती हैं।
मां चंद्रघंटा का ध्यान करने से साधक के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। यह दिन शांति और साहस का प्रतीक है और साधक को आंतरिक शांति और मानसिक स्थिरता की प्राप्ति होती है।
मां चंद्रघंटा की आराधना से लाभ
मानसिक शांति: मां चंद्रघंटा की पूजा से मानसिक शांति और संतुलन प्राप्त होता है। साधक को जीवन में आने वाली मानसिक परेशानियों से मुक्ति मिलती है।
शत्रुओं पर विजय: मां चंद्रघंटा की कृपा से साधक अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त करता है। वे भक्तों की हर प्रकार की बाहरी और आंतरिक समस्याओं का नाश करती हैं।
आत्मबल और साहस: मां चंद्रघंटा की पूजा से साधक के मन में आत्मबल और साहस का विकास होता है, जिससे वे जीवन की कठिनाइयों का सामना कर सकते हैं।
नवरात्रि के तीसरे दिन का महत्व
नवरात्रि का तीसरा दिन मां चंद्रघंटा की पूजा के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस दिन भक्तजन मां से प्रार्थना करते हैं कि वे उनके जीवन की सभी कठिनाइयों को दूर करें और उन्हें साहस, शांति और सुरक्षा प्रदान करें।
मां चंद्रघंटा की कृपा से भक्त का जीवन सुखमय और समृद्धि से भर जाता है। उनकी आराधना करने से भक्तों को मानसिक और शारीरिक रूप से शक्ति प्राप्त होती है।