इस साल शारदीय नवरात्रि 2025 9 दिन नहीं बल्कि 10 दिन की होगी। नवरात्रि का आरंभ सोमवार, 22 सितंबर 2025 से होगा। इस बार तृतीया तिथि दो दिन रहेगी – 24 और 25 सितंबर, जिससे नवरात्रि में एक दिन की वृद्धि हुई है।
महत्व: बढ़ती तिथि को शुभ माना जाता है क्योंकि यह शक्ति, उत्साह और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक है। घटती तिथि को अशुभ माना जाता है।
घटस्थापना मुहूर्त 2025
घटस्थापना नवरात्रि का पहला और सबसे महत्वपूर्ण दिन है।
- घटस्थापना मुहूर्त: सुबह 05:58 बजे से 07:52 बजे तक
- अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 11:37 बजे से 12:25 बजे तक
इस समय देवी दुर्गा की स्थापना करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
मां दुर्गा की हाथी सवारी
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, हर वर्ष नवरात्रि में माता दुर्गा विभिन्न वाहनों पर सवार होकर अपने भक्तों के घर आती हैं।
- इस बार माता हाथी (गज) पर सवार होंगी।
- हाथी की सवारी समृद्धि, उन्नति और शांति का प्रतीक है।
- इस वाहन में सवार होकर आने से वर्षा प्रचुर मात्रा में होती है, सुख-समृद्धि और खुशियों की प्राप्ति होती है।
पहला दिन – घटस्थापना: मां शैलपुत्री
वस्त्र: पीला या सफेद
भोग: फल, दूध और फूल
मंत्र: “ॐ शैलपुत्र्यै नमः”
महत्व: मातृत्व, शांति और सरलता का प्रतीक
दूसरा दिन – मां ब्रह्मचारिणी
वस्त्र: हल्का गुलाबी
भोग: हलवा या हल्दी वाला प्रसाद
मंत्र: “ॐ ब्रह्मचारिण्यै नमः”
महत्व: ज्ञान, संयम और आत्म-निर्भरता का प्रतीक
तीसरा दिन – मां चंद्रघंटा
वस्त्र: नारंगी
भोग: दूर्वा और फलों का भोग
मंत्र: “ॐ चंद्रघंटायै नमः”
महत्व: साहस और वीरता का प्रतीक
चौथा दिन – मां कूष्मांडा
वस्त्र: हल्का पीला या गहरा लाल
भोग: हलवा और दूध
मंत्र: “ॐ कूष्माण्डायै नमः”
महत्व: स्वास्थ्य और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक
पाँचवाँ दिन – मां स्कंदमाता
वस्त्र: सफेद या हल्का लाल
भोग: दूध और खीर
मंत्र: “ॐ स्कंदमातायै नमः”
महत्व: मातृत्व और परिवार की सुरक्षा का प्रतीक
छठा दिन – मां कात्यायनी
वस्त्र: लाल
भोग: फल, हलवा और गंगाजल
मंत्र: “ॐ कात्यायन्यै नमः”
महत्व: शक्ति, संकल्प और इच्छाओं की पूर्ति का प्रतीक
सातवाँ दिन – मां कालरात्रि
वस्त्र: काला
भोग: काला तिल, गुड़
मंत्र: “ॐ कालरात्र्यै नमः”
महत्व: भय और नकारात्मकता से मुक्ति
आठवाँ दिन – मां महागौरी
वस्त्र: सफेद या हल्का गुलाबी
भोग: दूध, फल और हलवा
मंत्र: “ॐ महागौर्यै नमः”
महत्व: सौभाग्य, समृद्धि और शांति
नवाँ दिन – मां सिद्धिदात्री
वस्त्र: पीला
भोग: फल और दूध
मंत्र: “ॐ सिद्धिदात्री नमः”
महत्व: सफलता, समृद्धि और इच्छाओं की पूर्ति
दसवाँ दिन – विजयादशमी
महत्व: दुर्गा पूजा का समापन और बुराई पर अच्छाई की जीत
पूजा विधि: विजयादशमी पर दशहरा या शस्त्र पूजन किया जाता है
नवरात्रि में क्या नहीं करना चाहिए
- झगड़ा, क्रोध और नकारात्मक व्यवहार से बचें
- मांसाहारी भोजन, शराब और नशा वर्जित
- पूजा स्थल या कलश को अपवित्र न करें
- अव्यवस्थित या गंदे स्थान पर पूजा न करें
- व्रत के दिन आलस्य या कामुकता से दूर रहें
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