इंसान का मन चाहता कुछ और है,, बोलता कुछ और है ….???

बहुत साल पहले, एक व्यक्ति मेरे पास आये और बोले कि

साहनी जी,, मुझे कुछ ऐसी टेक्निक सिखा दो, जिससे मैं किसी इंसान को पढ़ सकू , जान सकू, कि वो इंसान कैसा है?? क्या है ?? मुझे पता है कि आप लोगो को बहुत जल्दी पढ़ लेते हो ,,, ये कला आप के पास है

उसकी बात सुनकर , मैं अपनी आदत वश हँस दिया…

मैं बोला कि तुम्हे ये कला क्यो सीखनी है ??
क्या करना चाहते हो ??
Detail में बतावो तो मैं कुछ कहूँ

तो वो बोले कि मेरी शादी का केस चल रहा है, मुझे लड़की देखने जाना है, इसलिये आप से इंसान को पढ़ने की टेक्निक जाननी है , ताकि मैं उस लड़की को जान सकू , जिसके साथ मेरी शादी होने वाली है,

उसकी बात सुनकर , मैं फिर हँसा और बोला कि

तुम्हारे लिये उस लड़की को जानना जरूरी है ??
या फिर शादी के बाद भी सुखी रहना जरूरी है??

तो वो तपाक से बोले कि सुखी होना है इसीलिए तो जानना जरूरी है

तो मैं हँसते हुए बोला कि ये आपका भृम है , आपका मार्ग ही ठीक नही है,

किसी इंसान को जानकर, दुनिया को जान कर , कोई इंसान सुखी नही होता है,

जानना हो तो खुद को, खुद के मन को, भगवान को जानो

फिलहाल , आप के केस में,, मेरी एक विनम्र प्रार्थना है , विचार है, तसल्ली से सोचना, फिर जो आपका दिल कहे वो कर लेना

अगर आप को सुखी होना है तो लड़की देखने मत जावो …

आप के मम्मी पापा , आप को बहुत कहेंगे, प्रेशर डालेंगे, कि लड़की देखने चलो,, तुम मना करोगे तो , हो सकता है कभी थोड़ा गुस्सा भी जाये , चलो लड़की देख लो, क्यो नही चलोगे लड़की देखने,, जिंदगी तुम्हे बितानी है उसके साथ

पड़ोसियों से, रिस्तेदारो से भी कह कर तुम पर प्रेसर डाला जाएगा, तुम्हे लड़की दिखाने के लिये

वो कुछ भी कहे, करे, तुम हर बार यही जवाब देना मुस्कुरा कर कि मम्मी आप लोग देख आवो, मम्मी तुम जिससे कहोगी मैं उसी से शादी करूँगा

मैं उस मित्र को बोला कि तुम अपने निर्णय से हटना नही, ज्यादा गुस्साने लगे तो मम्मी के गले लग जाना, थोड़ा गाल खींच कर, थोड़ा लाड़ दिखा कर,बच्चे की तरह हँस कर,, बोलते रहना कि मम्मी तुम लोग जावो, देख आवो, तुम्हे पसन्द आ जाय तो मैं कर लूँगा

मैं मित्र को बोला कि उस समय मम्मी पापा की क्रिया देख कर डांवाडोल मत होना

क्योकि इंसान चाहता कुछ और है, जबकि बोलता कुछ और है

मम्मी पापा बोलेंगे, हो सकता है कभी कभी गुस्से में भी बोले कि लड़की देखने चलो,,, लेकिन उनका मन यही चाहता है कि

मेरा लड़का, मेरी लड़की, मेरी पसंद से शादी करे,,, जब तुम इसी बात पर अड़े रहोगे कि मम्मी , मैं उसी लड़की से शादी करूँगा जिसे तुम पसन्द करोगी

तो तुम्हारे मम्मी, पापा को अंदर से बहुत गर्व महसूस होगा , उन्हें अंदर से बहुत बड़ी खुशी मिलेगी कि मेरी संतान मुझे कितना चाहती है, कितना भरोसा करती है, अकेले में ये सोच कर वो लोग खुशी से रो भी देंगे

आधुनिक होने के अहंकार में,, बुद्धिमान होने के अहंकार में , बच्चे अक्सर यही गलती कर बैठते है, जो तुम करने जा रहे थे

शादी के मामले में , किसी इंसान के पास ये छमता ही नही है कि वो उपयुक्त जीवन साथी का चुनाव बुद्धि से कर सके, ये बुद्धि का विषय ही नही है

ऐसी बहुत सारी चीजें भगवान , प्रकृति के हाथ मे ही है, कथा श्रवण करके उसे जगा लो , प्रसन्न कर लो तो कान्हा वो सब कर सकता है जो हमारे लिये best हो

परिवार में सिर्फ अपनी राय रखो, विचार रखो,, निर्णय मम्मी पापा को ही करने दो,

ज्यादा बड़ी अम्मा न बनो, नही तो जो result आएगा , वो भी तुम्हे ही झेलना पड़ेगा, 😁😁🙂🙂

परिवार में, रिस्तो में , आपसी अपनत्व जरूरी है, ये बुद्धि का छेत्र नही है, बुद्धि लगाई जाती है घर से बाहर, नौकरी व्यपार में

फिर मैं मित्र को बोला कि बिना लड़की देखे, मम्मी पापा की मर्जी से शादी करोगे तो

शादी के बाद, तुम्हे बहुत फायदा होगा

तुम्हारी पत्नी से कुछ भी गलती होगी तो maximum गलतियां , तुम्हारे मम्मी पापा तुम्हे बताएंगे ही नही,

कुछ समय के बाद, जब बताना चालू करे , कि इसे ये नही आता , इसने ये कर दिया , आदि आदि, तो हँस कर उस मैटर को टाल देना,

हँसते हुए बोल देना कि मम्मी, क्या आता है, क्या नही आता है, ये तुम जानो, नही आता तो सिखा दो, बहु तो आपकी ही है, देखकर तो तुम्ही ले कर आई हो, मैं तो देखने भी नही गया था, तुम्ही देख परख कर लायी हो,, अब तुम्ही सम्भालो, तुम्ही सिखावो जो नही आता उसे 🙂🙂🙂🙂 ऐसा बोल कर , पल्ला झाड़ कर चल देना

सास-बहु ,, नन्द-भाभी , देवरानी – जिठानी, ये सब ऐसे मैटर है, ऐसे सम्बन्ध है जिनमे कभी जज बनने की कोशिश नही करना

रिस्तो में, रिस्तो के मनमुटाव में, कभी भी सही गलत कुछ नही होता है, दोनो ही अपनी अपनी जगह पर सही है, या तो दोनों ही गलत है क्योंकि दोनों ही अपनी जिद्द पकड़े है,

जिद्द किसी भी चीज की इंसान को गलत कर देती है

दृण निर्णय (सुभ संकल्प) और जिद्द में बहुत अंतर होता है,, जो बिना कथा श्रवण हमे समझ नही आता है

सास-बहू, नन्द-भाभी , ये ऐसे सम्बन्ध है कि इसमें कोई भी आदमी किसी को नही समझा सकता है ,, क्योकि नारी भाव प्रधान व्यक्ति है, उसे बुद्धि से समझाया ही नही जा सकता है, उनको सिर्फ और सिर्फ कथा श्रवण ही ठीक कर सकता है,

रिस्ते निभाना, रिस्तो में मधुरता रखना, ये बुद्धि का विषय है ही नही

ये भाव छेत्र है, प्रेम छेत्र है,

प्रेम करना, मुस्कुराना, ये तभी सम्भव है , जब परिवार में कथा बजती रहे

कान्हा प्रिय हो
प्रेम प्रिय हो

8707820714

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