एक लोटा गंगा जल
एक बार एक साधु देवनदी गंगा जी के किनारे रामायण से सत्संग कर रहे थे, तो उन्होंने एक चौपाई बोली- *ईश्वर अंश जीव अविनाशी ।* *चेतन अमल सहज सुखराशी ॥* तो सत्संग सुनने वालों में से एक व्यक्ति ने आगे आकर उन साधु से कहा ,” महाराज ! ईश्वर तो सर्वज्ञ है, सर्वशक्तिमान है और … Read more