जो प्राप्त है-पर्याप्त है
एक अखबार वाला प्रात:काल लगभग 5 बजे जिस समय वह अख़बार देने आता था, उस समय मैं उसको अपने मकान की ‘गैलरी’ में टहलता हुआ मिल जाता था। अत: वह मेरे आवास के मुख्य द्वार के सामने चलती साइकिल से निकलते हुए मेरे आवास में अख़बार फेंकता और मुझको ‘नमस्ते बाबू जी’ वाक्य से अभिवादन … Read more