सच्चा संत
एक संत थे बड़े निस्पृह, सदाचारी एवं लोकसेवी।जीवन भर निस्वार्थ भाव से दूसरों की भलाई में लगे रहते। एक बार विचरण करते हुए देवताओं की टोली उनकी कुटिया के समीप से निकली। संत साधनारत थे, साधना से उठे, देखा देवगण खड़े हैं।आदरसम्मान किया, आसन दिया। देवतागण बोले,“आपके लोकहितार्थ किए गए कार्यों को देखकर हमें प्रसन्नता … Read more